ग्राम पंचायत : शक्तियाँ एवं कार्य || Gram Panchayat : Work & Powers
जैसा कि हम सभी जानते हैं पंचायती राज एक तीन स्तरीय ढांचा है। सब से नीचे के स्तर पर ग्राम पंचायत है। खण्ड स्तर पर ब्लॉक समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद है।
ग्राम पंचायत क्या होती है(What is Gram Panchayat) :-
पंचायत: पंचायत की स्थापना ग्रामीण स्तर पर की गई है। इस का चुनाव गांव के व्यस्क मतदाओं द्वारा किया जाता है। गांवों को वार्डों में बांटा गया है। प्रत्येक वार्ड का प्रतिनिधि पंच या वार्ड मैम्बर कहलाता है। हिमाचल प्रदेश में पंचायतों में 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। कुछ सीटें अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जन जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित होती है। सारी पंचायत के लोग प्रधान व उप-प्रधान का चुनाव सीधे तौर पर करते हैं। पंचायत में कम से कम 5 सदस्य होने चाहिए। पंचायत के सभी व्यस्क मतदाताओं को मिला कर ग्राम सभा बनती है। इस की बैठक साल में बार होती है। जिस में ग्रामीण स्तर पर किए गए कार्यों का ब्यौरा दिया जाता है व अगले विकास कार्यों पर चर्चा होती है। इन बैठकों में लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। ग्राम पंचायत अपने कार्यों के लिए ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी है। ग्राम पंचायत का चुनाव पांच वर्ष के लिए होता है।
ग्राम पंचायत के कार्य व शक्तियां
1. प्रशासनिक कार्य :-
1. गांव से जुड़े पटवारी आदि सरकारी कर्मचारियों के काम पर निगरानी।
2 गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखना।
3. गांव में पुल, रास्ते, नालियां, शौचादि के लिए टॉयलेट का निर्माण।
4. अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की सहायता करना।
2. सार्वजनिक कल्याण के कार्य :-
1. सफाई और पीने के पानी के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था।
2. सार्वजनिक स्थानों की देखभाल।
3. बीमारियां की रोकथाम के लिए व्यवस्था करना।
4. पशुधन संवर्धन व नसल सुधारने का प्रयत्न करना।
5. गांव में जंजघर, शमशान घाट, स्वयं सहायता समूह आदि की व्यवस्था।
6 लोगों के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए कार्य करना।
7. समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का प्रयत्न करना।
8. लोगों के मनोरंजन आदि का प्रबंध करना
9. संकट के समय लोगों की सहायता करना।
3. विकास सम्बन्धी कार्य :-
1. स्वयं सहायता समूह बनवाकर लोगों के आर्थिक विकास में सहयोगा
2 मनरेगा के तहत रास्ते, सड़कों आदि का निर्माण व मुरम्मत।
3. किसानों को समय पर बीज व खाद का प्रबंध करवाना ताकि कृषि उपज बढ़े।
4. न्यायिक कार्य :-
1. गांवों में छोटे-छोटे झगड़ों का निर्णय करना ताकि लोगों को हर बात के लिए अदालत का दरवाजा न खटखटाना पड़े। पंचायतें अपने आदेश का पालन न करने वाले पर जुर्माना भी कर सकती हैं।
पंचायत के आय के साधन :-
1. पंचायतें गांवों में गृह कर लगाती है।
2 शामलात भूमि से होने वाली आय।
3. पंचायत द्वारा किए गए जुर्माने से होने वाली आय
4. गांव में लगने वाले मेले, मंडियों आदि से कर वसूल कर सकती है।
5. सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता व अनुदान।
6. विकासात्मक कार्यों के लिए सरकार से प्राप्त अनुदान किसी विशेष कार्य पूर्ति या उद्देश्य के लिए लोगों से विशेष कर इकट्ठा कर सकती है।