पंचायत समिति : शक्तियाँ एवं कार्य || What is Panchayat Samiti
जैसा कि हम सभी जानते हैं पंचायती राज एक तीन स्तरीय ढांचा है। सब से नीचे के स्तर पर ग्राम पंचायत है। खण्ड स्तर पर ब्लॉक समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद है।
आज के इस लेख में हमने पंचायत समिति के बारे में चर्चा की है।यहाँ पर पंचायत समिति के बारे में जो जानकारी प्रदान की गई है वह इस प्रकार से है :-
- पंचायत समिति क्या होती है(What is Panchayat Samiti)
- पंचायत समिति की रचना(Formation of Panchayat Samiti)
- पंचायत समिति का पदेन सदस्य
- पंचायत समिति में आरक्षण
- पंचायत समिति के सहायक सदस्य
- पंचायत समिति की अवधि(Term of Panchayat Samiti)
- पंचायत समिति सदस्य बनने के लिए योग्यता
- पंचायत समिति का अध्यक्ष
- पंचायत समिति का कार्यकारी अधिकारी
- पंचायत समिति के कार्य और शक्तियाँ
पंचायत समिति क्या होती है(What is Panchayat Samiti) :-
पंचायत समिति की रचना(Formation of Panchayat Samiti) :-
पंचायत समिति का गठन ब्लाक स्तर पर होता है। उत्तर प्रदेश में इसे क्षेत्र समिति तथा मध्य प्रदेश में जन परिषद का नाम दिया गया है। पूरे विकास खंड को सरकार वार्डों में बांट देती है तथा एक वार्ड से एक सदस्य निर्वाचित किया जाता है।
पदेन सदस्य :-
सम्बंधित सब डिवीजनल मैजिस्ट्रेट तथा खण्ड विकास अधिकारी पदेन सदस्य होते हैं।
आरक्षित स्थान :-
73वें संविधान संशोधन के अनुसार महिलाओं, अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों को जनसंख्या के अनुपात आरक्षण की व्यवस्था है। आरक्षित स्थानों में एक तिहाई स्थान अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
सहायक सदस्य :-
73वें संविधान संशोधन के अनुसार पंचायत समिति के क्षेत्र में विधान सभा के लिए चुने गए सदस्य समिति के सहायक सदस्य होते हैं तथा इन सदस्यों को मतदान का अधिकार भी दिया गया है।
अवधि :-
पंचायत समिति का चुनाव 5 वर्ष के लिए होता है। कार्यकाल पूरा होने से पहले भी सरकार इस को भंग कर सकती है।
योग्यताएं :-
2. वह 21 वर्ष से कम आयु का न हो।
3. वह पागल या दीवालिया न हो।
4. वह किसी न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषित न किया गया हो।
5. वह किसी सरकारी लाभदायक पद पर न हो।
अध्यक्ष :-
पंचायत समिति के सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष व एक उपाध्यक्ष चुनते हैं। इस की अवधि 5 वर्ष होती है परन्तु 73वें संविधान संशोधन के अनुसार इसे दो तिहाई बहुमत से हटाया भी जा सकता है। प्रत्येक जिले में महिलाओं व अनुसूचित जाति के लिए पद आरक्षित होते है। यह आरक्षण उपायुक्त द्वारा किया जाता है।
बैठकें : –
गणपूर्ति :-
साधारण बैठकों में एक तिहाई और विशेष बैठकों में 50% सदस्यों का होना आवश्यक है।
कार्य व शक्तियां :-
1. प्रशासनिक कार्यः
ब्लाक के क्षेत्र में आने वाली पंचायतों का निरीक्षण करना, वार्षिक योजनाओं पर विचार करना तथा जिला परिषद को भेजना । ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना प्रशासनिक कार्य के अन्तर्गत आते है।
2. कृषि सम्बन्धी कार्यः
फल, बीज, खाद, कीटनाशक दवाईयों की उचित व्यवस्था करना। भू संरक्षण पर रोक लगाना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना वह कृषि मेलों का आयोजन करना। किसानों के लिए ऋण उपलब्ध कराना।
3. पशुधनः
पशुधन संवर्धन के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं की जानकारी देना तथा उन की चिकित्सा सेवाओं की व्यवस्था करना, डेयरी, मुर्गी पालन, मछली पालन आदि को बढ़ावा देना।
4. शिक्षा (SSA) :
सर्वशिक्षा अभियान के कार्यक्रम को सफल बनाना। अपने क्षेत्र में शिक्षा की ओर ध्यान देना। स्कूल भवनों की देख रेख व मुरम्मत कराना। लोगों के लिए पुस्तकालयों तथा वाचनालयों का निर्माण करवाना।
5. स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण:
6. पीने का पानी:
लोगों को पीने का साफ पानी मिले, इस बात की व्यवस्था करना। जलापूर्ति योजनाओं को लागू करना व उन की उचित देखभाल करना।
7. कमजोर वर्गों का कल्याण :
आर्थिक, सामाजिक व शारीरिक रूप से अपंग व पिछड़े लोगों के कल्याण के कार्यक्रम बनाना।
8. सार्वजनिक वितरण प्रणाली:
सहकारी समितियों द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली को उचित व्यवस्था व देखभाल करना।
9. विकासात्मक कार्य :
क्षेत्र के विकास के लिए व लोगों के आर्थिक विकास के लिए लघु उद्योगों को बढ़ावा देना व जरूरतमंद लोगों के लिए वित्तीय व्यवस्था करना।
10.आपात सेवाएं:
संकट के समय लोगों की सहायता करना। आग लगना, बाढ़ प्रकोप आदि में सरकार से सहायतो की व्यवस्था कराना।
पंचायत समिति के आय के साधन
2. विकास कार्यों के लिए प्राप्त धन राशि।
3. जिला परिषद को पूर्व स्वीकृति से कर, डयूटियों और फीस से होने वाली आय।
4. राज्य की संचित निधि से प्राप्त धन।
5. मेले, उत्सवों व प्रदर्शनियों आदि से प्राप्त फीस।