शब्द : परिभाषा और भेद | Shabd : Definition & Types
प्रिय, पाठकों आज के इस लेख में हमने शब्द के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।
यहाँ शब्द के बारे में जो जानकारी प्रदान की गई है वह इस प्रकार से है:-
- शब्द किसे कहते हैं?
- शब्द की परिभाषा क्या है?
- अर्थ के आधार पर शब्द के कितने भेद हैं?
- प्रयोग की दृष्टि से शब्द के कितने भेद हैं?
- उत्पति के आधार पर शब्द के कितने भेद हैं?
- रचना के अनुसार शब्द के कितने भेद हैं?
शब्द किसे कहते हैं(Shabd kise kahte hain)
जो ध्वनि – समूह मुख से बोला जाए और कान से सुना जाए, उसे शब्द कहते हैं । ये शब्द एक या अनेक वर्णों से बनते हैं तथा स्वतन्त्र होते हैं।
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद :-
अर्थ के आधार पर शब्दों के दो प्रकार हैं:-
1. सार्थक
2. निरर्थक ।
1. सार्थक शब्द :-
जैसे :- ‘घोड़ा’ शब्द से हमें एक पशु विशेष का ज्ञान होता है।
2. निरर्थक शब्द :-
जैसे :- रोटी वोटी लाओ। इस में ‘रोटी’ शब्द तो सार्थक है, लेकिन ‘वोटी’ शब्द निरर्थक है। इसी प्रकार ठोकड़ी, मंडु आदि निरर्थक शब्द हैं ।
ध्यान रहे :- व्याकरण में केवल सार्थक शब्दों का ही विवेचन होता है। अतः व्याकरण की दृष्टि से शब्द की परिभाषा हो सकती है।
शब्द की परिभाषा :-
वह सार्थक ध्वनि या ध्वनि-समूह शब्द कहलाती है जो मुख से बोली जाती है और कान से सुनी जाती है ।
एक या अनेक वर्णों (ध्वनियों) से बनी स्वतन्त्र एवं सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं ।
प्रयोग की दृष्टि से शब्द के भेद :-
प्रयोग की दृष्टि से शब्दों के आठ भेद हैं
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया
5. क्रिया-विशेषण
6. सम्बन्धबोधक
7. योजक
8. विस्मयादि बोधक (द्योतक)
प्रयोग के ही आधार पर शब्द के दो भेद और हैं :-
1. विकारी
2. अविकारी
विकारी शब्द है, जिनमें विकार अर्थात् परिवर्तन होता है। अविकारी वे शब्द हैं, जिनमें किसी प्रकार का विकार अर्थात् परिवर्तन नहीं होता। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विकारी हैं, लेकिन क्रिया-विशेषण, सम्बन्धबोधक, योजक और द्योतक शब्द अविकारी हैं।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद :-
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों चार भेद हैं:
1. तत्सम
2. तद्भव
3. देशज
4. विदेशी ।
भारत में बोली जाने वाली प्रायः अनेक भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से हुई। संस्कृत का जितना उत्तराधिकार हिन्दी को प्राप्त है, उतना किसी अन्य भाषा को नहीं। यही कारण है कि हिन्दी में अन्य भाषाओं की अपेक्षा तत्सम शब्दों का प्रयोग अधिक है। हिन्दी ने विदेशी भाषाओं में सबसे अधिक शब्द अरबी-फारसी के लिए हैं। इसमें अरबी-फारसी के लगभग 400 शब्द प्रयुक्त होते हैं। इसी प्रकार अंग्रेजी से लगभग 3500 और पुर्तगाली से 70 शब्द लिए गए हैं। कुछ शब्द अन्य भाषाओं के भी हैं।
1. तत्सम :-
जैसे :- स्त्री, नदी, नारी, कमल, कपि, विवाह, कर्म, साधु, पुण्य इत्यादि।
2. तद्भव :-
संस्कृत के वे शब्द जो कुछ बदलकर हिन्दी में प्रयुक्त होते है।
3. देशज :-
जैसे :- पेट, पगड़ी सांडू, टोला, थाली, लोटा, संदूक, छोहरा, लथपथ, टाँग, कलकल, रुनझन, हिलमिल इत्यादि ।
4. विदेशी :-
दूसरे देशों की भाषाओं से लिए गए शब्द, विदेशी कहलाते हैं। जब विदेशी भारतवासियों के सम्पर्क में आये तो इनकी भाषाओं के कुछ शब्द हिन्दी में मिल गये । जैसे :-
- अरबी :- अल्लाह, अमीर, औरत, कलम, जासूस, जेबकतरा, फकीर, दुनिया, दौलत, कदम, किताब, कसूर, जलसा, अक्ल, किस्मत, कल्ल, वकील, अदालत, असबाब, आदत , अजनबी, हकीम, हुकम, हुक्का, हलवाई, ऐनक, सज़ा, जिला आदि ।
- फारसी :- बाग, अफसोस, खरीदना, शिकायत, सिफारिश, चपरासी, जिन्दगी, चश्मा, चन्दा, दरबार, आदमी, दुकान, कमर, शर्म, आजाद, रुमाल, शादी, बीमार, नमक, चिलम, बीमा, बादाम, शेर, शिकार, दोस्त, रास्ता, खून आदि ।
- अंग्रेज़ी :- सिगरेट, स्टेशन, सिग्नल, डॉक्टर, दर्जन, रपट, लालटेन, टिकट, स्कूल ।
- तुर्की :- तोप, लाश, कैंची, चाकू, जुराब, कुली, बावरची, दारोगा, बेगम, बीवी, कलगी, ताश, आका, कालीन, गलीचा, सौगात, तगमा, उर्दू, कुमुक, काजू, बारूद आदि ।
- पुर्तगाली :- पादरी, तम्बाकू, चाबी, तौलिया, पिस्तोल, बिस्कुट, साबुन, संतरा, गमला, गोदाम, गिरजा, पलटन, कैमरा, नीलाम, कमीज़, आलू, बाल्टी, कारतूस आदि ।
- फ्रांसीसी :- कूपन, अंग्रेज़, इंजन, कान्स्टेबल, जज, टेनिस, पैंसिल, बिगुल, कर्फ्यु, पुलिस, इंजीनियर आदि ।
- ग्रीक :- दाम, एटलस, टेलीफोन, बाईबल, ऐटम, ग्रामोफोन, एकेडमी, सुरंग आदि ।
- डच :- बम, पम्प, ट्रिल, स्काउट, फरलो आदि ।
संकर शब्द किसे कहते हैं :-
जैसे :-
- रेलगाड़ी – रेल (अंग्रेजी) + गाड़ी (हिन्दी)
- अग्निबोट – अग्नि (संस्कृत) – बोट (अंग्रेज़ी) आदि ।
रचना के अनुसार शब्द के भेद :-
रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं।
1. रूढ़
2. यौगिक
3. योग रूढ़
1. रूढ़ :-
2. यौगिक :-
- पाठ + शाला = पाठशाला
- बैल + गाड़ी = बैलगाड़ी
- विद्या + आलय = विद्यालय
3. योगरूढ़ :-