प्रिय, पाठकों आज की इस पोस्ट में हमने गीतिका छन्द के बारे में जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं कि आपको गीतिका छन्द की परिभाषा तथा गीतिका छन्द के उदाहरण सहित यह जानकारी पसंद आएगी।
गीतिका की परिभाषा
परिभाषा :- गीतिका छन्द में छब्बीस मात्राएँ होती है। अन्त में लघु गुरु होते हैं । 14 और 12 भाषाओं पर यति होती है।
कहा भी गया है – रत्न (14) रवि (12) कल पारिक लग अंत रचिए गीतिका
उदाहरण :-
ऽ । ऽ ऽ ऽ । ऽ ऽ । । । ऽ ऽ ऽ । ऽ
देवता थे देखते ही = 14 बन गई थी भक्त मैं। = 12
ऽ । ऽ । । ऽ । ऽ ऽ । । । । । ऽ ऽ । ऽ
हो गई उस रूप लीला = 14 पर अटल आसक्त में ।। =12
समन्वय :- ऊपर के उदाहरण में प्रत्येक चरण में 26 26 मात्राएँ हैं। क्रमशः 14 और 12 पर यति है। प्रत्येक चरण के अन्त में क्रमशः लघु गुरु है। अतः यह छन्द गीतिका है
एक और उदाहरण से समझिए :
साधु भक्तों में सुयोगी, संयमी बढ़ने लगे।
सभ्यता की सीढ़ियों पर, सूरमा बढ़ने लगे।
वेद मंत्रों को विवेकी प्रेम से पढ़ने लगे।
पंचको की छातियों में शूल से गड़ने लगे ।।