प्रिय, पाठकों आज की इस पोस्ट में हमने हरिगीतिका छन्द के बारे में जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं कि आपको हरिगीतिका छन्द की परिभाषा तथा हरिगीतिका छन्द के उदाहरण सहित यह जानकारी पसंद आएगी।
हरिगीतिका छन्द की परिभाषा
परिभाषा- यह एक मात्रिक समछन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं। क्रमशः 16 एवं 12 पर यति होती है तथा चरण के अन्त में लघु, गुरु आते है।
कहा भी गया है :-सोलह दुआ दस यति विरपि शरिगीतिका निर्मित करो । (28 मात्राएं)
उदाहरण :-
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खग वृन्द सोता है अत: कल कल नहीं होता वहाँ । = 16 + 12
बस मद मारुत का गम नहीं मौन खोता है वहाँ।
इस भांति धीरे से परस्पर कह सजगता की कथा ।
यों दीखते हैं वृक्ष ये हों विश्व के प्रहरी पथा ।।
एक अन्य उदाहरण से समझिए:-
अधिकार खोकर कर बैठना, यह महा दुष्कर्म है।
न्यायार्थ अपने बंधु को भी दण्ड देना धर्म है ।।
इस तत्व पर ही कौरवों का पाण्डवों से रण हुआ ।
जो भव्य भरवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।