प्रिय, पाठकों आज की इस पोस्ट में हमने दोहा छन्द के बारे में जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं कि आपको दोहा की परिभाषा तथा दोहा के उदाहरण सहित यह जानकारी पसंद आएगी।
दोहा किसे कहते हैं
परिभाषा – दोहा सामिक अर्द्धसम छन्द है। इसमें कुल चार चरण होते हैं। पहले और तीसरे चरण में तेरह-तेरह तथा दूसरे और चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएं होती है। (13+11=24 मात्राएं)
प्रत्येक चरण के अन्त में यति होती है। दूसरे तथा चौथे चरण के अन्त में लघु (1) होना आवश्यक है।
यथा :
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करत करत अभ्यास ते = 13 मात्राएं
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जड़मति होत सुजान। = 11 मात्राएं
। । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ
रसरी आवत जात ते = 13 मात्राएं
। । । । । । । । ऽ ।
सिल पर परत निसान ।। = 11 मात्राएं
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समन्वय :- ऊपर के उदाहरण में कुल चार चरण है। पहले और तीसरे (प्रत्येक) चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ हैं और दूसरे और चौथे में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ हैं । इस प्रकार कुल 24 मात्राएँ हैं यहां प्रत्येक चरण के अन्त में यति है और प्रत्येक के अन्त में लघु स्वर भी है। अतः यह दोहा छन्द है।
एक अन्य उदाहरण :-
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय ।
जा तन की झाँई परौ, स्याम हरित दुति होय ।।