प्रिय, पाठकों आज की इस पोस्ट में हमने सोरठा छन्द के बारे में जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं कि आपको सोरठा की परिभाषा तथा सोरठा के उदाहरण सहित यह जानकारी पसंद आएगी।
सोरठा किसे कहते हैं
3. सोरठा :- परिभाषा :- यह आभिक अर्द्धसम छन्द है। इसमें दोहे छन्द से उल्टा क्रम होता है। अर्थात् पहले और तीसरे चरणों में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती है तथा दूसरे और चौथे चरणों में तेरह-तेरह मात्राएँ होती है।
जैसे कहा भी गया है :-
सम तेरह विषमेश, दोहा उलटे सोरठा
अर्थात (विषम चरणों में 11 तथा सम चरणों में 13 मात्राएँ)
उदाहरण:
ऽ ऽ । ऽ । ऽ। । । । । ऽ । । । । । । 11 + 13 = 24
फूलै फले न बेत, जदपि सुधा बरसहि जलद ।
ऽ । । । । । । ऽ । ऽ । । । । । । ऽ । । । 11 + 13 = 24
मूरख हृदय न चेत, जो गुरु मिलहि विरचि सम ।।
एक और उदाहरण से समझिए :
रहिमन हमि न सुहाइ, अमिय पियावत मान बिन ।
वरूविष देइ पिलाइ, मान सहित मरिबो भलो ।।