कवित छन्द किसे कहते हैं || Kavita Chhand in Hindi

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 प्रिय, पाठकों आज की इस पोस्ट में हमने कवित छन्द के बारे में जानकारी प्रदान की है। आशा करते हैं कि आपको कवित छन्द की परिभाषा तथा कवित छन्द के उदाहरण सहित यह जानकारी पसंद आएगी।

कवित छन्द किसे कहते हैं || Kavita Chhand in Hindi

  

कवित छन्द की परिभाषा

 परिभाषा :- साधारण रूप में मुक्तक दण्डकों को ही जो दण्ड की तरह बहुत लम्बे छन्द होते हैं, कवित्त कह देते है। यह भी वार्णिक छन्दों की कोटि में ही आता है, लेकिन इसमें गणों का नियम लागू नहीं होता। 

यहाँ मनहरण का उदाहरण दिया जा रहा है। (इसे घनाक्षरी भी कहते है) इसमें 31 वर्ण होते है। 16 और 14 पर यति होती है तथा इसमें अनितम वर्ण का गुरु होना आवश्यक है।

उदाहरण:-

इन्द्र जिगि जम्भ पर, बाढव सुअम्भ पर

शवन सदम्भ पर रघुकुल राज है ।

पौन वारिबाह पर, सम्भु रतिनाह पर

ज्यों सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है।

दावा द्रुमदण्ड पर चीता मृग झुण्ड पर

‘भूषन’ वितुण्ड पर जैसे मृगराज है।

तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर

त्यों मलिच्छ बंस पर सेर सिवराज है।

 

 

छन्द के अन्य प्रकार

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